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11 April 2014

तब भी नहीं मरा हूँ|




फिर भी नहीं मरा हूँ 

 सच के साथ खड़ा हूँ तब भी नहीं मरा हूँ|
 कफ़न साथ लिए बढ़ा हूँ, रास्ते अपने खुद गढ़ा हूँ|
 दूब जैसा बढ़ा हूँ जीवन नजदीक से पढ़ा हूँ| 
 समस्या से हरदम लड़ा हूँ पहाड की तरह अड़ा हूँ|
 आग में तपा हूँ| काटों में नंगे पैर चला हूँ, 
 अपमान बा-मुश्किल सहा हूँ |
 फिर भी नहीं मरा हूँ| 
 आगे हरदम बढ़ा हूँ, पहाड की तरह लड़ा हूँ,
 आग की तरह जला हूँ, फिर भी नहीं मरा हूँ | 

  संजय कुमार

sach ke sath khara hun

फिर भी नहीं मरा हूँ सच के साथ खड़ा हूँ तब भी नहीं मरा हूँ| कफ़न साथ लिए बढ़ा हूँ, रास्ते अपने खुद गढ़ा हूँ| दूब जैसा बढ़ा हूँ जीवन नजदीक से पढ़ा हूँ| समस्या से हरदम लड़ा हूँ पहाड की तरह अड़ा हूँ| आग में तपा हूँ| काटों में नंगे पैर चला हूँ, अपमान बा-मुश्किल सहा हूँ | फिर भी नहीं मरा हूँ| आगे हरदम बढ़ा हूँ, पहाड की तरह लड़ा हूँ, आग की तरह जला हूँ, फिर भी नहीं मरा हूँ | संजय कुमार