जिंदगी एक संग्राम
जिंदगी एक संग्राम है, जीत कर हीं मानेगें |
सामने पहाड़ आये तो रौंद उसको डालेंगे|
नदी, जंगल कुछ आ जाए, रास्ता बना डालेंगे,
मंजिल पाकर मानेगें, पतवार नहीं अब डालेंगे |
कोई मस्अला मुश्किल नहीं, हल कर उसको डालेंगे |
आओ अब संघर्ष करे, तज्किरा बंद करें|
रात घनघोर काली हो, भोर न होते वाली हो|
दीप जलाकर लायेंगे, अंधकार हटाकर गायेंगे|
पौधे नए लगाएँगे, फूल नए खिलाएंगे|
काम बड़े कर जायेंगे, इतिहास नया रच पाएंगे|
अनीति- अनाचार हटाएंगे, नया प्रकाश लायेंगे|
जान अब लड़ायेंगे, असंभव संभव कर पाएंगे |
जब ‘दिनकर’ दिख न पायेगा, घना अंधकार छायेगा |
नया प्रकाशपुंज आएगा, रोशनी नई फैलाएगा|
गिड़कर- गिड़कर सम्हल जायेंगे, बढते आगे जायेगे|
परिश्रम करते जायेगे, मंजिल अपनी पायेगे|
जिंदगी एक संग्राम है, जीत कर हीं मानेगें |
सामने पहाड़ आये तो रौंद उसको डालेंगे|
संजय कुमार
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मस्अला-समस्या