फिर भी नहीं मरा हूँ
सच के साथ खड़ा हूँ तब भी नहीं मरा हूँ|
कफ़न साथ लिए बढ़ा हूँ, रास्ते अपने खुद गढ़ा हूँ|
दूब जैसा बढ़ा हूँ जीवन नजदीक से पढ़ा हूँ|
समस्या से हरदम लड़ा हूँ पहाड की तरह अड़ा हूँ|
आग में तपा हूँ| काटों में नंगे पैर चला हूँ,
अपमान बा-मुश्किल सहा हूँ |
फिर भी नहीं मरा हूँ|
आगे हरदम बढ़ा हूँ,
पहाड की तरह लड़ा हूँ,
आग की तरह जला हूँ,
फिर भी नहीं मरा हूँ | संजय कुमार