संबध तो पानी से भरा माथे पर रखा मिट्टी का घड़ा है जिसे बड़ी सावधानी से लेकर पनघट से घर तक लाना पडता है. जरा सी सावधानी हटी कि घड़ा जमीन पर गिर जाता है और पानी भी बह जाता है. इन्ही रिश्तों ने मुझे ताकत दी है कि खुश रह सकूँ.
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16 October 2012
Divaswapna: फिर आज मेरे मन की वीणा
Divaswapna: फिर आज मेरे मन की वीणा: फिर आज मेरे मन की वीणा कुछ नए नए सुर रचती है कहती है जीवन निर्झर है निर्बाध अहर्निश बहती है.... फिर आज मेरे मन की वीणा....
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