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18 September 2012

श्मशान में दीया जलाया गया है


श्मशान में दीया जलाया गया है

बड़ा अरमान था सपनों के सच होने का,
उन्हीं अरमानॉ को धूल चटाया गया है |
खुशहाल जिंदगी तसब्बुर न थी,
तभी तो श्मशान में सुलाया  गया है |
जिंदगी बेमिशाल है,
तो मुझे मौत के कुर्बत में क्यों लाया गया है |
जिनके कर्मो को देख, आ जाते थे आँसू,
उन्हीं के आखों से आँसू बहाया गया है |
जब साँसे साथ थी, तो कुछ न था,
साँसे क्या छिनी..,  फूल माला चढ़ाया गया है |

मुझे जब आग में हीं जलाना है,
तो फिर क्यों नहलाया गया है |
मर तो मै कब का गया था,
आज तो बस जलाया गया है |
दाने-दाने को मोह्ताज था उम्र भर,
आज लोगो को पकवान खिलाया गया है |
श्मशान में जब आग लगाया गया है,
तो क्यों न, शहर की आग बुझाया गया है?
चारों ओर घोर अँधेरा छाया हुआ है,
चलो ये अच्छा हुआ... श्मशान में दीया जलाया गया है |

संजय कुमार
मुख्य प्रबंधक
स्टेट बैंक ज्ञानार्जन केंद्र
रायपुर

3 comments:

  1. धन्यवाद. तुम्हारी कविता पढ़ रहा हूँ बहुत अच्छा लग रहा है . मिलने पर बतायेंगे. पर इतना कैसे लिख लेती हो| संजय

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