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3 February 2013

जिंदगी एक संग्राम


जिंदगी एक संग्राम
जिंदगी एक  संग्राम है, जीत कर हीं मानेगें |
सामने पहाड़ आये  तो रौंद उसको डालेंगे|
नदी, जंगल कुछ आ जाए, रास्ता बना डालेंगे,
मंजिल पाकर मानेगें, पतवार नहीं अब डालेंगे |

कोई मस्अला मुश्किल नहीं, हल कर उसको डालेंगे |
आओ अब संघर्ष करे, तज्किरा बंद करें|
रात घनघोर  काली हो, भोर न होते वाली हो|
दीप जलाकर लायेंगे, अंधकार हटाकर गायेंगे|

पौधे नए लगाएँगे, फूल  नए खिलाएंगे|
काम बड़े कर जायेंगे, इतिहास नया रच पाएंगे|  
अनीति- अनाचार  हटाएंगे, नया प्रकाश लायेंगे|  
जान अब लड़ायेंगे, असंभव संभव कर पाएंगे |
जब ‘दिनकर’ दिख न पायेगा, घना अंधकार छायेगा |
नया प्रकाशपुंज  आएगा, रोशनी नई फैलाएगा|
गिड़कर- गिड़कर सम्हल जायेंगे, बढते आगे जायेगे|
परिश्रम करते जायेगे, मंजिल अपनी पायेगे|

जिंदगी एक  संग्राम है, जीत कर हीं मानेगें |
सामने पहाड़ आये  तो रौंद उसको डालेंगे|



संजय कुमार


ताज्किरा- चर्चा
मस्अला-समस्या

1 comment:

  1. छत्‍तीसगढ़ ब्‍लॉगर्स चौपाल में आपका स्‍वागत है. कृपया टिप्‍पणी से शब्‍द पुष्टिकरण हटा देवें, टिप्‍पणी करने में असुविधा होती है.

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