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20 November 2013

फिर भी नहीं मरा हूँ

फिर भी नहीं मरा हूँ सच के साथ खड़ा हूँ तब भी नहीं मरा हूँ| कफ़न साथ लिए बढ़ा हूँ, रास्ते अपने खुद गढ़ा हूँ| दूब जैसा बढ़ा हूँ जीवन नजदीक से पढ़ा हूँ| समस्या से हरदम लड़ा हूँ पहाड की तरह अड़ा हूँ| आग में तपा हूँ| काटों में नंगे पैर चला हूँ, अपमान बा-मुश्किल सहा हूँ | फिर भी नहीं मरा हूँ| आगे हरदम बढ़ा हूँ, पहाड की तरह लड़ा हूँ, आग की तरह जला हूँ, फिर भी नहीं मरा हूँ | संजय कुमार

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