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10 October 2012

धीरज न खोयिये ,धीरे- धीरे चलिए

धीरज न खोयिये ,धीरे- धीरे चलिए

काम कुछ कर जाईये, रास्ता नया  बनाइये

अगर कुछ कर जायेंगे, तो लक्ष्य नया पा  जायेंगे,

अगर भटक जायेंगे तो ‘कहाँ’ पहुँच  जायेंगे?

धीरे या  तेज चले , फिर भी लक्ष्य पाएंगे

रुक गए गर  कुचल दिए जायेंगे

संघर्ष कुछ कर जाईये, तकलीफें कुछ पाईये

‘नजर’ नहीं हटाईये. चलते -बढ़ते जाईये

कोशिश करते जाईये , चिराग नया जलाईये.

संकल्प मन में लाईये, रास्ते नए बनाईये

पैसे भले कमाईये , रिश्ते नहीं गवांईये,

कुछ नया कर जाईये, नए रास्ते बनाईये.

‘आगाज़’ अगर कर गएँ तो ‘अंजाम’ तक पहुंचायिये,

कुछ नया कर जाईये, उम्मीद ना   मिटाईये.

लिखने लायक बन जाईये,

या पढने लायक लिख जाईये.

इतिहास नया बनाइये

चलते बढ़ते जाईये.

लक्ष्य  नया बनाइये

काम  नया कर जाइये 
 
धीरज न खोयिये ,धीरे-धीरे बढिए .


संजय कुमार
स्टेट बैंक ज्ञानार्जन केंद्र
रायपुर


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