Search This Blog

26 October 2011

अपनी गति

अपनी गति
 जिसने आसमान को कभी छुआ होगा ,
वह आदमी नहीं खुदा  होगा|
हम तो छोटी सी बात में उलझ  जाते है
आग देखते ही झुलस जाते है|
जुल्म की बात मत करो,
जुल्म सुनने से मरे जाते है|
 बेवफा और  बावफा का फर्क क्या जाने
बावफा को ही बेबफा  समंझ लेते है|
हर जगह चोट खायी है
चोट देने के नाम से मरे जाते है|

 मरने की कोशिश कभी थी
 जीने की कोशिश में मरे जा रहा हूँ|

 हर न्यूज़ में हत्या बलात्कार है,
फिर भी न्यूज़ पढ़े  जा रहा हूँ|
सारा  आकास नहीं आता किसी के हिस्से ,
फिर भी मै कोशिस किये जा रहा हूँ |
समय की गति तेज है लोग कहते है मगर ,
पर मै अपनी गति से चले  जा रहा हूँ|

संजय कुमार

No comments:

Post a Comment