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26 October 2011

क्या बात है

क्या बात है?
क्या बात है
नहीं- नहीं शायद रात है
दुश्मन हर मोड़ पर है
तभी तो जीवन जीने की चाह है.

कोई मिले न मिले इस राह में
परछाई जो  साथ है |
अगर है हिम्मत
तो हर रास्ता साफ है
हर कठिनाई के बाद सफलता है
यह जीवन की सबसे बड़ी आश है

रात विवश हो जाता है
जब दीपक की रौशनी पास है
जब मालूम नहीं  मंजिल का रास्ता
ढूंढकर मंजिल पहुँचने में क्या  बात है?

वे लहरों को देख रहे थे
पर लहरों में खेलने में क्या बात है?
जिन्दंगी में डूबते उबरते
आ गए किनारे
अब नौका दिखाने की  क्या बात है?

जल में रहकर मगर से रहकर मगर से बैर कर
मैं जाना
मगर को पानी पानी कर देने में क्या बात है.

 संजय कुमार

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