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27 October 2011

क्यों अच्छा लगता है

क्यों अच्छा लगता है?



क्यों अच्छा लगता है?
बिन बात  उलझने में
गले मिलकर हड्डी-पसली एक  करने में
बस में पूरी  सीट छोड़कर
लड़की के बगल में बैठने में
कमरतोड महंगाई में
ब्रांडेड कपड़े खरीदने में.

क्यों अच्छा लगता है?
ऑफिस से कलम चुराने  में
‘ध्रूमपान निषेध जोन’ में धुवाँ उड़ाने  में
लाल बत्ती जल पर जाने पर भी गाड़ी बढ़ाने  में.
अर्थदंड लगने पर गिरगिडाने  में 

क्यों अच्छा लगता है?
सड़क में खड़े पेशाब करने में
रेलवे स्टेशन में लड़कियों को टकटकी लगाने में
हाथ मिलाकर ममोड देने में
पीठ पर  घुस्सा रसीद करने में
हर जगह खुजाने में  

क्यों अच्छा लगता है?
देर रात तक fF  टीवी देखने में
पत्नी के उठ जाने पर चैनेल बदलने में
हत्या और बलात्कार के न्यूज़ पढने में
इन्टरनेट पर नंगी फोटो  देखने में

क्यों अच्छा लगता है?
सोफे पर पसरने  में
ससुराल में अकडने में
बच्चों पर बिगड़ने  में
चैनल बार बार बदलने पर.

क्यों अच्छा लगता है?
बिना बात के बकबकाने में
काम से जी चुराने में
उधारी पचाने में
उंगली नचाने में


क्यों अच्छा लगता है?
क्लास बंक करने में
देर से घर पहुँचने  में
गेस  बुक पढ़ने में

क्यों अच्छा लगता है?
टिप में सौ रुपया देने के बाद
पर गली के  सब्जी वाले से मोल भाव करने में.
और रिक्शा वाले को चवनी` कम देने में.

क्यों अच्छा लगता है?
हेलमेट  लटकाकर गाड़ी चलाने में.
पुलिस को देखकर गाड़ी भगाने में.
धक्का लगने पर दूसरे पर इल्जाम लगाने  में.

क्यों अच्छा लगता है?
क्लास में सोने में
भगवान के पास रोने में
ट्रेन  के बाथ रूम में कमेन्ट लिखने में 
नाक में अंगुली डालने में
दो बार आइसक्रीम खा जाने में
और गुटका चबाने में

क्यों अच्छा लगता है?
मिस कॉल में  बतियाने में
नाख़ून चबाने में
फ्री का दावत उड़ाने में
शराब बंदी एरिया में बीयर पीने में
शब्जी पोलीथिन में लेने में.

क्यों अच्छा लगता है?
फूल चुराने में
कमर लचकाने  में
दुःख दर्द बताने में
सीमा पार कर जाने में.

क्यों अच्छा लगता है?
बोटेल का बोटेल पी जीने में
चोरी के फूल चढ़ाने में
बेसुरा गा, लोग को जगाने में
गन्दा दूसरे के घर में फैलाने  में
मांग कर मैगज़ीन ले जाने में
भूल जाने पर बहाना बनाने में 






















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